कल्पना करें कि आपकी कार से निकलने वाला धुआं वाहन के लिए ऊर्जा का काम कर रहा है. आपकी कार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को ऊर्जा कार के एक्जॉस्ट पाइप से निकलने वाली ऊष्मा से बनने वाली बिजली से हासिल हो.
अमेरिका की एक कंपनी ने ऐसा कर दिखाया है. कैलिफोर्निया स्थित एक छोटी कंपनी अल्फाबेट एनर्जी इंक ने सिलिकन से एक अत्याधुनिक थर्मोइलेक्ट्रिक सामग्री बनाने का तरीका निकाला है. ये किसी भी गर्मी देने वाले स्रोत से जुड़कर बिजली पैदा कर सकती है. इस तरीके को थर्मोइलेक्ट्रिसिटी कहा जाता है.
थर्मोइलेक्ट्रिसिटी काफी समय से अस्तित्व में है. उष्मा को ऊर्जा में परिवर्तित करने के बुनियादी सिद्धांत की खोज 1821 में हो गई थी. नासा ने 1977 से अपने कुछ अंतरिक्ष यानों में इस तकनीक का इस्तेमाल भी किया.
धुएं से बिजली बनाने की ये तकनीक अमेरिका की एक कंपनी लगातार उपयोग में ला रही है. वो इस तकनीक से जेनरेटर से निकलने वाले धुएं से बिजली बना रही है. (पिक्साबे)
क्या होती है प्रक्रिया
इस प्रक्रिया में उष्मा की आपूर्ति रेडियोएक्टिव आइसोटोप करते हैं. जब थर्मोइलेक्ट्रिक सामग्री का एक हिस्सा गर्म होता है, तो इलेक्ट्रॉन का बहाव उस हिस्से से ठंडे हिस्से की तरफ होता है और इस प्रकार बिजली पैदा होती है.
अब तक क्यों महंगी थी इसी से जुड़ी एक और तकनीक
अभी तक वाणिज्यिक थर्मोइलेक्ट्रिक तकनीक काफी हद तक पृथ्वी के दुर्लभ तत्वों से बनी सामग्री के जरिए तैयार की जाती रही है. पृथ्वी से निकलने वाले ये तत्व ना केवल खासे कम हैं बल्कि महंगे भी. इसी वजह से ये तरीका प्रचलन में नहीं आ पाया था, क्योंकि ये खासा मंहगा था.
अब क्यों सस्ती है ये
अब अल्फाबेट नाम की ये कंपनी सिलिकन से ही थर्मोइलेक्ट्रिक सामग्री बना रही है, जो बहुत सस्ता भी है. इस तकनीक से उष्मा हस्तांतरण के जरिए ऊर्जा पैदा की जा सकेगी. अमेरिका द्वारा भारत में प्रकाशित की जाने वाली स्पैन मैगजीन में भी इसकी जानकारी दी गई है.
अभी जेनरेटर की एक्जॉस्ट हीट से बिजली बन रही है
अल्फाबेट तकनीक जेनरेटर से निकलने वाली एक्जॉस्ट हीट से बिजली का उत्पादन करती है. इसका मतलब है कि ये जेनरेटर अधिक सक्षम होंगे. ये कम मात्रा में डीजल का उपयोग भी कर रहे होंगे. इसमें कार्बन उत्सर्जन भी कम होता है. यह उन देशों के लिए काफी उपयोगी है, जिनके पास खराब या कम उन्नत इलेक्ट्रिकल ग्रिड हैं.
रखरखाव पर खर्च नहीं
ये हमारी तकनीक बेहद साधारण है जो थर्मोइलेक्ट्रिक सिस्टम को कारगर बनाती है.वास्तव में इसके रखरखाव पर कोई खर्च नहीं है.
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