नई दिल्ली. हैकर्स (Hackers) हर रोज हजारों लोगों को ठगते हैं. अलग-अलग तरीके अपनाकर ये किसी के बैंक अकाउंट से पैसे चुरा लेते हैं तो किसी व्यक्ति की निजी जानकारियां उसके किसी सोशल मीडिया अकाउंट या फिर फोन से उड़ा लेते हैं. ये नित नए तरीके अपनाते हैं. अगर आप ये सोचते हो कि ये बस आम लोगों या साधारण कंपनियों को ही चूना लगा सकते हैं तो आप गलत सोच रहे हैं.
ऐपल (Apple), मेटा (Meta) और डिस्कॉर्ड (Discord) जैसी दिग्गज टेक कंपनियों को भी ये हैकर्स बुद्धू बना देते हैं. जी, हां, आपने सही पढ़ा है. अमेरिका में ऐसा ही हुआ है. हैकर्स ने ऐसा ही शानदार जाल फेंका जिसमें ऐपल और फेसबुक (Facebook) की पैरेंट कंपनी मेटा फंस गई और खुद ही हैकर्स के हवाले यूजर्स का निजी डेटा कर दिया. जब तक कंपनियों को अपनी गलती का अहसास हुआ तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
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ऐसे बनाया उल्लू
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल ऐपल, मेटा और डिस्कॉर्ड को पिछले साल हैकर्स ने बेवकूफ बनाते हुए यूजर्स का डाटा हासिल कर लिया. हैकर्स ने खुद को कानूनी अधिकारी बताया और कंपनियों के पास ‘इमरजेंसी डाटा रिक्वेस्ट्स’ (Emergency Data Requests) भेजीं. एप्पल, मेटा और डिस्कॉर्ड ने इस रिक्वेस्ट को स्वीकार करते हुए हैकर्स को यूजर्स का डाटा दे दिया. कंपनियों को अपनी गलती का पता तब चला जब हैकर्स ने यूजर्स को परेशान करना शुरू किया.
इस तरह उठाया फायदा
अमेरिका में कानूनी एजेंसियों को कंपनियों से यूजर्स का डाटा मांगने के लिए सर्च वारंट कंपनियों को देना होता है. या फिर इस तरह के आदेश पर किसी जज के हस्ताक्षर होने जरूरी होते हैं. लेकिन, वहां नियम यह है कि अगर यूजर्स डाटा की इमरेजेंसी है तो कंपनियों को इमरजेंसी डाटा रिक्वेस्ट भेजी जा सकती है और कंपनियां बिना सर्च वारंट या कोर्ट ऑर्डर के भी यूजर्स डाटा देने के लिए बाध्य है.
हैकर्स ने अपनी पहचान छुपाकर फेक इमरजेंसी डाटा रिक्वेस्ट सोशल मीडिया और गेमिंग कंपनियों के पास भेजी. हैकर्स को पता था कि कंपनियों के पास इस तरह की फेक रिक्वेस्ट को जांचने का कोई फुलप्रुफ तरीका नहीं है और वो ऐसी रिक्वेस्ट पर तेजी से काम करती है और डाटा दे देती है. हैकर्स ने पुलिस के ईमेल सिस्टम का इस्तेमाल किया, जिससे की रिक्वेस्ट असली लगे. मामला सामने के बाद ऐपल और मेटा ने अब आगे ऐसे हैकर्स के जाल में न फंसने के लिए जरूरी कदम उठाए हैं.
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