Sunday, June 4, 2023
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नया वित्त वर्ष शुरू, सताने लगी टैक्स की टेंशन तो फॉलो करें ये 5 स्टेप, बचेगा पैसा


नई दिल्ली. आप चाहे आयकरदाता हों या निवेशक, नए वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ ही आपको अपने धन के सही इस्तेमाल की चिंता सताने लगी होगी. आपकी चिंता जायज ही है. समय पर महत्वपूर्ण वित्तीय कार्य सही प्लानिंग के साथ नहीं करने से आपको आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. टीडीएस से बचने के लिए फॉर्म 15G और 15H जमा करना, आयकर बचाने की योजना बनाना और पीएफ में 12 फीसदी से अधिक योगदान के लिए एचआर से संपर्क करना आदि ऐसे कार्य हैं, जिन्हें आप वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ ही करने लगते हैं. यहां हम आपको 5 ऐसे टिप्स दे रहे हैं, जिन पर आप वित्त वर्ष 2022-23 की शुरुआत से ही अमल करके पूरे साल बेफिक्र रह सकते हैं.

सबसे पहला है आय में वृद्धि के साथ ही निवेश बढ़ाना. नए वित्त वर्ष में वेतनभोगियों को उच्च वेतन मिलने की संभावना जताई जा रही है. आय बढ़ने के साथ ही आपको निवेश में वृद्धि करनी चाहिए. उदाहरण के लिए, यदि आप फिलहाल म्यूचुअल फंड में मासिक मोड में 5000 की एसआईपी कर रहे हैं, तो वेतन वृद्धि के साथ ही आपको इस राशि में वृद्धि करनी चाहिए.

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इनकम टैक्स बचाने की प्लानिंग
विशेषज्ञों की सलाह है कि टैक्सपेयर्स को आयकर की प्लानिंग में कुछ समय देना चाहिए. इसका कारण यह है कि कर योग्य आय भी आपकी अपनी मेहनत की कमाई होती है. उदाहरण के लिए यदि कोई कर बचत योजनाओं में निवेश कर रहा है, तो उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसने धारा 80C, 80CCD (1B) जैसे सभी कर बचाने वाले टूल्स में निवेश को उसने पूरा कर लिया है. हालांकि, निवेशक को केवल आयकर बचाने के लिए किसी को टैक्स सेविंग टूल में निवेश नहीं करना चाहिए. उन्हें निवेश पर मिलने वाले रिटर्न को भी देखना चाहिए. निवेश का रिटर्न इतना होना चाहिए जिससे 5.5 से 6 फीसदी की औसत महंगाई दर को मात दी जा सके. पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)  या टैक्स सेवर पोस्ट ऑफिस टर्म डिपॉजिट आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है.

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट करना
केवल निवेश करके छोड़ देना सही नहीं है. नए वित्त वर्ष के साथ ही आपको अपने पोर्टफोलियो पर नजर डालनी चाहिए. यदि आवश्यक हो अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करें. उसमें पुराने से निकलकर नया निवेश चुन सकते हैं. उदाहरण के लिए यदि नए वित्त वर्ष में इक्विटी म्यूचुअल फंड में एसआईपी शुरू करना चाहते हैं, तो ELSS स्कीम आपके लिए बेहतर साबित होगी. इसके जरिये आप टैक्स भी बचा पाएंगे. ELSS फंड लंबी अवधि में  डेट फंडों की तुलना में अधिक रिटर्न देगा. आप एक वित्त वर्ष में इसमें 1.5 लाख रुपए तक निवेश कर सकते हैं. यदि आपमें रिस्क लेने की अधिक क्ष्मता है या आप अपने करियर के शुरुआती चरण में हैं, तो ELSS म्यूचुअल फंड में निवेश आपके लिए फायदेमंद है.

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VPF में निवेश बढ़ाएं
भले ही भविष्य निधि (पीएफ) की ब्याज दर चार दशक के निचले स्तर 8.1 फीसदी तक कम कर दी गई हो, फिर भी यह पीपीएफ पर मिलने वाले 7.1 फीसदी ब्याज से 1 प्रतिशत अधिक है. यही कारण है कि किसी वेतनभोगी व्यक्ति को स्वैच्छिक भविष्य निधि (VPF) में निवेश जारी रखना चाहिए और अपने नियोक्ता को अपनी मासिक आय से VPF की कटौती जारी रखने का अनुरोध कर सकते हैं. इससे उन्हें धारा 80C की छूट के साथ बिना किसी रिस्क के ज्यादा रिटर्न मिलेगा. हालांकि आपको ध्यान रखना चाहिए कि प्रति वर्ष 2.5 लाख रुपए तक का ईपीएफ योगदान EEE श्रेणी के अंतर्गत आता है. यानी, इससे मिलने वाले ब्याज पर कर नहीं लगता है. 2.5 लाख रुपए से अधिक निवेश से अर्जित ब्याज पर कर देना होगा.

TDS कटौती से बचने के लिए फॉर्म 15जी फाइल करें
यदि कमाने वाले किसी व्यक्ति की वार्षिक आय 2.5 लाख रुपए से कम है, तो उस स्थिति में फॉर्म 15जी जमा करना चाहिए. यदि आपकी आयु 60 वर्ष से कम है, तो यह फॉर्म जमाकर आप अर्जित ब्याज पर किसी भी टीडीएस कटौती से बच पाएंगे. इसी तरह 2.5 लाख रुपए से कम वार्षिक आय वाले वरिष्ठ नागरिक के मामले में उसी टीडीएस कटौती लाभ के लिए फॉर्म 415H भरना होगा.

Tags: Income tax, Investment



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