नई दिल्ली. केंद्र की मोदी सरकार ने बीमा कंपनियों सहित आम ग्राहकों की उस उम्मीद पर पानी फेर दिया है जिसमें कहा जा रहा था कि सरकार हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी की दरों में बदलाव कर सकती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में इस बारे में सरकार की स्थिति साफ कर दी. एक सवाल के लिखित जवाब में उन्होंने इस बारे में जानकारी दी है.
बीमा कंपनियों की मांग के बावजूद वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसमें कटौती की कोई घोषणा नहीं की थी. इसके बाद भी इस तरह की खबरें आ रही थी कि सरकार इस पर विचार कर रही है. कोविड-19 को देखते हुए बीमा कंपनियों की मांग की थी कि जीएसटी की दरों में कटौती की जाए.
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जीएसटी काउंसिल ने नहीं दिया कटौती का प्रस्ताव
सोमवार को एक लिखित सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी काउंसिल ने हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी की दरों में कटौती का कोई प्रस्ताव नहीं दिया है. उन्होंने बताया कि जीएसटी काउंसिल की 37वीं बैठक 20 सितंबर, 2019 को हुई थी. उस बैठक में दरों में कटौती का कोई प्रस्ताव नहीं किया गया था.
18 फीसदी लगता है जीएसटी
हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर लग्जरी प्रॉडक्ट पर लगने वाले 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है. जबकि जीएसटी लागू होने से पहले इस पर लगने वाले सर्विस टैक्स की दर 15 फीसदी ही थी. निर्मला सीतारमण के मुताबकि, सरकार ने कुछ स्वास्थ्य बीमाओं को पहले से टैक्स छूट दे रखी है. इनमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (RSBY), यूनिवर्सल हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम, जन आरोग्य बीमा योजना और निरामया हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम शामिल हैं. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं को भी जीएसटी से बाहर रखा गया है.
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