माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म (Microblogging Platform) ट्विटर (Twitter) के भारतीय प्रतिद्वंद्वी के रूप में आई कू (Koo) अपने वेरिफिकेशन प्रोग्राम का दायरा बढ़ाने के लिए सभी यूजर्स के लिए स्वैच्छिक आधार पर ‘आइडेंटिफिकेशन टिक (identification tick)’ का विकल्प देने की तैयारी में है. बता दें कि आइडेंटिफिकेशन टिक एक तरह का वेरिफिकेशन टिक है जो कू प्लेटफॉर्म पर प्रमुख यूज़र्स को दिया जाता है.
कू के सह-संस्थापक एवं सीईओ अप्रमेय राधाकृष्ण ने पीटीआई के साथ बातचीत में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि वेरिफिकेशन प्रोग्राम का दायरा बढ़ाने के लिए कू अपने सभी यूजर्स को ‘आइडेंटिफिकेशन टिक’ की सुविधा देने की योजना बना रही है.
आइडेंटिफिकेशन टिक ऐसे पा सकेंगे यूज़र्स
अप्रमेय राधाकृष्ण ने आइडेंटिफिकेशन टिक के प्रस्ताव पर कहा कि इस व्यवस्था को यूजर्स के लिए वैकल्पिक आधार पर दिया जाएगा और इसमें किसी तरह की बाध्यता नहीं होगी. उन्होंने कहा कि हमारे पास पहले से ही एक एमिनेंस टिक सुविधा है. आइडेंटिफिकेशन टिक के जरिए हमारे आम यूजर्स ये कह पाएंगे कि वे रियल हैं.
Koo भारत की भाषाओं को काफी अच्छी तरह से जनता है और प्लेटफार्म कुछ ऐसा बनाया गया है जिससे की 100 करोड़ भारतीय लोगों को इसका पूरा फायदा मिल सके. क्योंकि हमारे देश में सबसे ज्यादा भाषाएं बोली जाती हैं. ऐसे में एक ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार करना जरूरी था जिसे हर भारतीय इस्तेमाल कर पाए. बस इसी सोच को लेकर Koo को तैयार किया गया.
Koo पर टॉक टू टाइप फीचर (Talk To Type) और डार्क मोड फीचर (Dark Mode) के बाद अब Koo में ट्र्रान्सलेशन (Translation) फीचर भी हाल ही में पेश किया जिससे यूज़र्स ऑटोमेटिकली अपनी कू (Koo- s) को रियल टाइम में 8 भारतीय लैंग्वेजे में ट्रांसलेट कर सकते हैं.
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