Sunday, September 24, 2023
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बिजली उत्पादक कंपनियों को भुगतान करने में असफल हो रहीं वितरण कंपनिया, बकाया 4 फीसदी बढ़ा


नयी दिल्ली. बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बिजली उत्पादक कंपनियों (जेनको) का बकाया मई 2022 में वार्षिक आधार पर 4.04 प्रतिशत बढ़कर 1,21,765 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. यह मई 2021 तक डिस्कॉम पर बिजली वितरण कंपनियों का बकाया 1,17,026 करोड़ रुपये था.

ये जानकारी पेमेंट रैटिफिकेशन एंड एनालिसिस इन पावर प्रोक्यूरमेंट फॉर ब्रिंगिंग ट्रांसपैरेंसी इन इन्वॉयसिंग ऑफ जेनरेशन (प्राप्ति) पोर्टल से मिली है. बिजली उत्पादकों तथा डिस्कॉम के बीच बिजली खरीद लेनदेन में पारदर्शिता लाने के लिए प्राप्ति पोर्टल मई 2018 में शुरू किया गया था. गौरतलब है कि मई 2022 में डिस्कॉम पर कुल बकाया पिछले महीने यानी अप्रैल 2022 की तुलना में भी बढ़ा है. अप्रैल में यह 1,20,954 करोड़ रुपये था.

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45 दिन के समय के बावजूद नहीं किया गया भुगतान
मई 2022 तक 45 दिन की मियाद या ग्रेस की अवधि के बाद भी डिस्कॉम पर कुल बकाया राशि 1,06,902 करोड़ रुपये थी. यह एक साल पहले समान महीने में 94,354 करोड़ रुपये थी. अप्रैल, 2022 में डिस्कॉम पर कुल बकाया 1,06,071 करोड़ रुपये था. बिजली उत्पादक कंपनियां डिस्कॉम को बेची गई बिजली के बिल का भुगतान करने के लिए 45 दिन का समय देती हैं. उसके बाद यह राशि पुराने बकाये में आ जाती है. ज्यादातर ऐसे मामलों में बिजली उत्पादक दंडात्मक ब्याज वसूलते हैं.

किसका कितना बकाया
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में अकेले एनटीपीसी को ही डिस्कॉम से 5,072.82 करोड़ रुपये वसूलने हैं. उसके बाद एनपीसीआईएल कुडनकुलम परमाणु बिजली संयंत्र को 3,419.78 करोड़ रुपये बिजली वितरण कंपनियों से वसूलने हैं. डीवीसी का बकाया 3,398.57 करोड़ रुपये है. निजी बिजली उत्पादक कंपनियों में अडानी पावर का बकाया 25,284.67 करोड़ रुपये, केएसके महानदी पावर कंपनी का बकाया 5,324.32 करोड़ रुपये और बजाज समूह की ललितपुर पावर जेनरेशन कंपनी का बकाया 5,308.29 करोड़ रुपये है. आंकड़ों से पता चलता है कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड और तमिलनाडु की बिजली वितरण कंपनियों का उत्पादक कंपनियों के बकाये में सबसे अधिक हिस्सा है.

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सरकार ने राहत के लिए उठाए कदम
बिजली उत्पादक कंपनियों को राहत के लिए केंद्र ने एक अगस्त, 2019 से भुगतान सुरक्षा प्रणाली लागू की है. इस व्यवस्था के तहत डिस्कॉम को बिजली आपूर्ति पाने के लिए साख पत्र देना होता है. केंद्र सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों को भी कोविड-19 महामारी की वजह से कुछ राहत दी है. भुगतान में देरी के लिए डिस्कॉम पर दंडात्मक शुल्क को माफ कर दिया गया है. सरकार ने मई 2020 में डिस्कॉम के लिए 90,000 करोड़ रुपये की नकदी डालने की योजना पेश की थी. इसके तहत बिजली वितरण कंपनियां पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) तथा आरईसी लिमिटेड से सस्ता कर्ज ले सकती हैं. बाद में सरकार ने इस पैकेज को बढ़ाकर 1.2 लाख करोड़ रुपये और उसके बाद 1.35 लाख करोड़ रुपये कर दिया.

Tags: Power plants



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