नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने एलआईसी आईपीओ (LIC IPO) में शेयर अलॉटमेंट पर रोक लगाने से इनकार किया है. उसने कुछ पॉलिसी होल्डर्स की याचिकाओं पर इस आईपीओ में शेयर अलॉटमेंट पर रोक लगाने और कोई अंतरिम राहत देने से मना कर दिया है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने कहा कि कोर्ट को कमर्शियल निवेश और आईपीओ के मामलों में कोई अंतरिम राहत देने से बचना चाहिए. शीर्ष कोर्ट के इस फैसले के बाद एलआईसी आईपीओ में शेयर अलॉटमेंट और इसकी लिस्टिंग पूर्व निर्धारित समय पर होने का रास्ता साफ हो गया है.
केंद्र और एलआईसी को नोटिस जारी करके 8 हफ्ते के भीतर जवाब मांगा
शीर्ष कोर्ट की बेंच ने कहा, “हम कोई अंतरिम राहत नहीं देना चाहते हैं.” सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर केंद्र और एलआईसी को नोटिस जारी करते हुए 8 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा. बेंच ने कहा कि अंतरिम राहत के पहलू पर कोर्ट को प्रथम दृष्टया मामले के सुस्थापित सिद्धांत, क्या कोई अपूरणीय क्षति है आदि देखना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एलआइसी के आईपीओ के खिलाफ एक रिट याचिका को स्वीकार किया था. एनजीओ पीपल फर्स्ट ने पॉलिसी होल्डर्स की ओर से इसे दायर की थी, जिसे सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया था.
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सुप्रीम कोर्ट में आज जब इस मामले में सुनवाई शुरू हुई, तो पॉलिसी होल्डर्स की ओर से सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने कहा कि सरकार ने जिस तरह से मनी बिल लाकर एलआईसी आईपीओ लाने का रास्ता तैयार किया, इसके ऊपर भी विचार करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘एलआईसी के साथ लोगों के अधिकार जुड़े हुए हैं. ऐसे में आईपीओ लाने के लिए मनी बिल के जरिये रास्ता नहीं तैयार किया जा सकता है.
बजट बैलेंस करने में खर्च होगा सारा पैसा
सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने भी सुप्रीम कोर्ट में एलआईसी आईपीओ के विरोध में दलीलें दीं. उन्होंने कहा कि पॉलिसी होल्डर्स से तथाकथित नॉन पार्टिसिपेटिंग सरप्लस के नाम पर 523 लाख करोड़ रुपये डायवर्ट किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘कंपनी का मालिकाना हक बदल रहा है और यह नए हाथों में जा रही है. इसे शेयर होल्डर्स के हाथों में बेचा जा रहा है. इससे जो पैसा मिलेगा, वह पॉलिसी होल्डर्स के पास नहीं जाएगा, बल्कि सारा पैसा भारत सरकार के बजट को बैलेंस करने में खर्च होगा.
एएसजी ने किया विरोध
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि एलआईसी आईपीओ पर रोक नहीं लगाई जा सकती है. उन्होंने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में कोई नोटिस नहीं दिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि नियमों को देखिए. यह देखें कि इंश्योरेंस बिजनेस के सरप्लस को किस तरह से इस्तेमाल किया जाता है. जयसिंह ने इसके जवाब में कहा कि सरकार एलआईसी के पॉलिसी होल्डर्स के लिए ट्रस्टी की भूमिका में है. पॉलिसी होल्डर्स के अधिकारों को इस तरह से नहीं कुचला जा सकता है.
बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए पाया कि एक याचिका में बॉम्बे हाईकोर्ट की ओर से पारित अंतरिम आदेश को चुनौती दी गई है. इसका निपटारा करते हुए कहा गया है कि हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका से पहले एपेक्स कोर्ट को ट्रांसफर किया जाएगा. एलआईसी आईपीओ 4 मई को रिटले और अन्य निवेशकों के लिए खुला था.
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Tags: Business news in hindi, LIC IPO, Life Insurance Corporation of India (LIC), Supreme Court
FIRST PUBLISHED : May 12, 2022, 14:15 IST