नई दिल्ली. सरकार को उम्मीद है कि आने वाले समय में कोकिंग कोल (Coking Coal) के उत्पादन में तेजी देखने को मिल सकती है. सरकार ने शनिवार को कहा कि देश का घरेलू कच्चे कोकिंग कोल उत्पादन साल 2030 तक मौजूदा 5.17 करोड़ टन से बढ़कर 14 करोड़ टन तक पहुंच सकता है. बता दें कि लोहा और स्टील के उत्पादन के लिए कोकिंग कोल एक आवश्यक कच्चा माल है.
कोयला मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘प्रधानमंत्री की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत कोयला मंत्रालय द्वारा किए गए परिवर्तनकारी उपायों के साथ घरेलू कच्चे कोकिंग कोल का उत्पादन वर्ष 2030 तक 14 करोड़ टन तक पहुंचने की संभावना है.’
10 कोकिंग कोल ब्लॉकों की नीलामी प्राइवेट सेक्टर को
कच्चे कोकिंग कोल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए केंद्र ने पिछले दो वर्षों में 2.25 करोड़ टन की ‘पीक रेटेड’ क्षमता (PRC) वाले 10 कोकिंग कोल ब्लॉकों की नीलामी प्राइवेट सेक्टर को की है. इनमें से अधिकांश ब्लॉकों में वर्ष 2025 तक उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है.
4 कोकिंग कोल ब्लॉक की भी पहचान
बयान के मुताबिक, मंत्रालय ने 4 कोकिंग कोल ब्लॉक की भी पहचान की है और सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट (सीएमपीडीआई) अगले दो महीनों में 4 से 6 नए कोकिंग कोल ब्लॉक के लिए भूवैज्ञानिक भंडार (GR) को भी अंतिम रूप देगा.
प्राइवेट सेक्टर को बेचा जा सकता है ब्लॉक
देश में घरेलू कच्चे कोकिंग कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए इन ब्लॉकों को प्राइवेट सेक्टर को बेचा जा सकता है. घरेलू कोयला उत्पादन में 80 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाले कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने मौजूदा खदानों से कच्चे कोकिंग कोल उत्पादन को 2.6 करोड़ टन तक बढ़ाने की योजना बनाई है और वित्त वर्ष 2024-25 तक लगभग दो करोड़ टन की अधिकतम क्षमता वाली नौ नई ख़दानों की पहचान की है.
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देश ने वर्ष 2021-22 के दौरान 5.17 करोड़ टन कच्चे कोकिंग कोयले का उत्पादन किया, जो वित्त वर्ष 2020-21 के 4.48 करोड़ टन की तुलना में 15 फीसदी ज्यादा है.
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Tags: Coal mines, Coal mining
FIRST PUBLISHED : June 25, 2022, 21:16 IST